संगोष्ठी में शिवपुरी के साहित्यकारों ने किए शोध आलेख प्रस्तुत ।
संगोष्ठी में शिवपुरी के साहित्यकारों ने किए शोध आलेख प्रस्तुत ।
दो दिन चली राष्ट्रीय संगोष्ठी में शिवपुरी के तीन साहित्यकारों ने की सहभागिता।
कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के सभागार में विश्व को भारत की देन विषय पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न ।
शिवपुरी । भारत की सबसे पुरानी साहित्यिक संस्था मध्यभारतीय हिंदी साहित्य सभा ग्वालियर द्वारा कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में विश्व को भारत की देन विषय पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया,जिसमे देशभर के मूर्धन्य साहित्यकारों ने विश्व को भारत की देन विषय पर अपने आलेख प्रस्तुत किये।शिवपुरी के तीन साहित्यकारों ने अपने शोध आलेख संगोष्ठी में प्रस्तुत किये।संगोष्ठी का उद्घाटन विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर तो समापन कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव अरविंद सक्सेना व लोक सेवा आयोग के सदस्य देवेंद्र मरकाम ने किया,पाथेय अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने दिया।
ग्वालियर कृषि विश्वविद्यालय के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय विश्व को भारत की देन रहा,जिसमे देश भर के 30 से भी अधिक साहित्यकारों ने शोध आलेख प्रस्तुत किये।राम कृष्ण,ज्ञान,विज्ञान,आयुर्वेद,पाककला,नाट्य,रंगमंच,सांख्य दर्शन,जैसे विविध विषयों को विश्व को भारत की देन विषय के परिपेक्ष्य में वक्ताओं ने प्रस्तुत किये।जिसे पुस्तक रूप में विमोचित भी किया गया।
शिवपुरी के प्रमोद भार्गव ने दशावतार के विज्ञान के साथ पुरातन विज्ञान की सुंदर व्याख्या अपने अध्यक्षीय क्रम में प्रस्तुत की,प्रमोद भार्गव ने कहा कि भारतीय मान्यताओं में भगवान के दशावतार हुए है,और ये अवतार विश्व को मानव सभ्यता सृष्टि के क्रम को समझाने के लिए है,जिसे कई विदेशी वैज्ञानिकों व शोध कर्ताओं ने भी स्वीकार किया है।
शिवपुरी के ही लखनलाल खरे ने पाककला पर आधारित व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि गंभीर से गंभीर बीमारियों के निदान में भारतीय पाक कला सहायक है।कोन्दू के चावल के नियमित उपयोग से कैंसर जैसी बीमारी का इलाज किया जा सकता है,जिसे हम तो भूल रहे है,पंरन्तु विदेशी स्वीकार कर स्वस्थ जीवन जी रहे है।भारतीय भोज्य पदार्थों के महत्व को विदेशी समझ उसका पेटेंट करा रहे है,और हम अपनी अज्ञानता की वजह से इन्हें भुला रहे है।
शिवपुरी के युवा लेखक आशुतोष शर्मा ने इस अवसर पर आयुर्वेद पर आधारित अपने शोध को प्रकट करते हुए कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बाद विश्व ने भारतीय दर्शन आयुर्वेद को स्वीकार किया है मानव शरीर के लिए उसके महत्व को समझा है,इसी लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारतीय आयुर्वेद संस्थान के साथ मिलकर जामनगर गुजरात मे संस्थान प्रारम्भ किया है,तुलसी,गिलोय,अश्वगंधा, मुलेठी जैसी औषधियों से आज सारा विश्व परिचित हुआ है।बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के आयुर्वेदिक औषधियों पर हुए शोध के बादआज सारा विश्व जीवन के लिए अमृत इसे मान चुका है।
इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर,राष्ट्रीय महामंत्री ऋषि कुमार मिश्रा,राष्ट्रीय मंत्री साधना बलबते,प्रान्त अध्यक्ष डॉ कुमार संजीव,इंगित पत्रिका की संपादक डॉ मंदाकिनी शर्मा,उपेंद्र कस्तूरे,धीरज शर्मा,ममता वजपेयो भोपाल,राष्ट्रीय कवि दिनेश याग्निक,साहित्य परिक्रमा के संपादक इंदुशेखर तत्पुरुष जयपुर,मीनाक्षी मीनल बिहार,राकेश सक्सेना,बाबू गीतेश्वर,रामावतार शर्मा मुरैना,रामकुमार चिढार, डॉ लोकेश तिवारी मुख्य रूप से मौजूद रहे।
संचालन डॉ करुणा सक्सेना,वंदना कुशवाह,व्याप्ति मदेकर,जान्हवी नाइक,अंकित अग्रवाल ने किया।
आभार सभा के अध्यक्ष डॉ कुमार संजीव ने माना व देश भर के आये साहित्यकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान किये।
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